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ब्रीफ टेल्स–बाल मजदूर

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“उफ्फ! मना लिया बाल दिवस।” एक शख्स ने घर आते ही खुद से कहा और फिर आगे बोला। “बहुत बुरी तरह से थक गया हूं।”

“कैसा रहा बाल दिवस?” उसे अपने पीछे से किसी की सर्द आवाज सुनाई दी।

“कौन है?” शख्स ने हड़बड़ाते हुए पूछा।

“एक बाल मजदूर।” उस आवाज ने जवाब दिया और फिर आगे बोला। “मै वो ही हूं जिस से तुमने अपनी माइन्स में काम करवाया और उन्ही के हक के लिए आज तुम भाषण देकर आए हो। जिस स्टेज पर खड़े होकर आज तुमने भाषण दिया वह भी बाल मजदूरों ने ही सजाया था।”

“पर मैंने किसी को नही मारा।” शख्स ने गिड़गिड़ाते हुए कहा। वह अच्छे से जानता था इस वक्त वह बाल मजदूर नही बल्कि उसकी मौत बोल रही थी।

वह आगे एक शब्द भी नही बोल पाया। अगले ही पल उसका शरीर फर्श पर पड़ा हुआ था। अनेकों बाल मजदूरों की तरह शख्स भी लोगों की नजरों से हमेशा हमेशा के लिए लापता हो गया।

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